फज़ा भी हैं जवाँ, जवाँ, हवा भी हैं रवाँ, रवाँ सुना रहा हैं ये समा, सुनी सुनी सी दास्ताँ पुकारते हैं दूर से, वो काफिले बहार के बिखर गये हैं रंग से, किसी के इंतजार के लहर लहर के होंठोंपर, वफ़ा की हैं कहानियाँ बुझी मगर बुझी नहीं, न जाने कैसी प्यास हैं करार दिल से आज भी, ना दूर हैं ना पास हैं ये खेल धूंप-छाँव का, ये करवटें, ये दूरियाँ हर एक पल को ढूंढता, हर एक पल चला गया हर एक पल फिराक का, हर एक पल विसाल का हर एक पल गुजर गया, बना के दिल पे एक निशाँ
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